05 February 2025 आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 05 फरवरी 2025
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – माघ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – अष्टमी रात्रि 12:35 फरवरी 06 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – भरणी रात्रि 08:33 तक, तत्पश्चात कृत्तिका
योग – शुक्ल रात्रि 09:19 तक, तत्पश्चात ब्रह्म
राहु काल – दोपहर 12:54 से दोपहर 02:18 तक
सूर्योदय – 07:21
सूर्यास्त – 06:25
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:35 से 06:26 तक
अभिजीत मुहूर्त – कोई नही
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 फरवरी 06 से रात्रि 01:19 फरवरी 06 तक
व्रत पर्व विवरण – भीम अष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी, बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 12:35 फरवरी 06 तक)
विशेष – अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कठोर या चंचल स्वभाव बदलने की कुंजी
स्वभाव कठोर है तो कमल का ध्यान करें, स्वभाव कोमल हो जायेगा । चंचल स्वभाव है तो ऐसा चिंतन करें कि “मैं शांत आत्मा हूँ, चिद्घन आत्मा हूँ, चैतन्य आत्मा हूँ… चंचलता मन में है, उसको जाननेवाला, चल मन को जाननेवाला अचल मेरा आत्मा-परमात्मा है । ॐ ॐ ॐ….” थोड़े दिन में स्वभाव ठीक हो जायेगा ।
मनुष्य कितना भी पतित हो वह महान बन सकता है
‘ॐऽऽऽ…’ उच्चारण किया और जितनी देर उच्चारण किया उतनी देर शांत हो जाय, ध्यान में डूबता जाय । अगर ऐसा १०-१५ मिनट सुबह-शाम करे, गुरुगीता का पाठ करे, युवाधन-सुरक्षा के नियमों पर अमल करे और भगवान् को, सदगुरु को एकटक देखे, उनसे बातें करे, प्रेरणा ले फिर अंतर में डुबकी मारे तो कितना भी पतित, कैसा भी गिरा हुआ व्यक्ति हो, उसका पतन बंद होने लगेगा, मन पवित्र होने लगेगा । वह मंगल के रास्ते चल पड़ेगा ।
लक्ष्मीप्राप्ति व घर में सुख-शांति हेतु
तुलसी-गमले की प्रतिदिन एक प्रदक्षिणा करने से लक्ष्मीप्राप्ति में सहायता मिलती है ।
तुलसी के थोड़े पत्ते पानी में डाल के उसे सामने रखकर भगवद्गीता का पाठ करे । फिर घर के सभी लोग मिल के भगवन्नाम – कीर्तन करके हास्य – प्रयोग करे और वह पवित्र जल सब लोग ग्रहण करे । यह प्रयोग करने से घर के झगड़े मिटते है, शराबी की शराब छुटती है और घर में सुख शांति का वास होता है ।
ह्रदय के लिए हितकर पेय
रात को भिगोये हुए ४ बादाम सुबह छिलका उतारकर १० तुलसी पत्तों और ४ काली मिर्च के साथ अच्छी तरह पीस लें । फिर आधा कप पानी में इनका घोल बना के पीने से विभिन्न प्रकार के ह्रदयरोगों में लाभ होता है । इससे मस्तिष्क को पोषण मिलता है एवं रक्त की वृद्धि भी होती हैं ।