Income Tax Return : टैक्सपेयर और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए इस बार 15 सितंबर की तारीख किसी चुनौती से कम नहीं है। एक ओर आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख है, तो वहीं दूसरी ओर एडवांस टैक्स की दूसरी किस्त जमा करने की भी समयसीमा। दोनों डेडलाइन के टकराव के बीच आयकर पोर्टल की तकनीकी परेशानियों ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।
Income Tax Return-पोर्टल की गड़बड़ियां और बढ़ती चिंता

Income Tax Return बीते कुछ दिनों से टैक्सपेयर लगातार शिकायत कर रहे हैं कि I-T पोर्टल पर न तो Annual Information Statement (AIS) और न ही Form 26AS ठीक से खुल रहे हैं। ई-पे चालान काम नहीं कर रहे, सेव किए गए ITR ड्राफ्ट अचानक गायब हो जाते हैं और कई बार फॉर्म भरते वक्त “Access Denied” जैसी एरर स्क्रीन पर आ जाती है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट नितेश बुद्धदेव का कहना है कि “समस्या यह है कि ITR फाइलिंग की बढ़ाई गई तारीख और एडवांस टैक्स जमा करने की डेडलाइन दोनों एक ही दिन पड़ रही हैं। ऐसे में टैक्सपेयर न तो समय पर रिटर्न फाइल कर पा रहे हैं और न ही एडवांस टैक्स जमा कर पा रहे हैं।”
एडवांस टैक्स न भरने पर जुर्माना

Income Tax Return, कानून के अनुसार, 15 सितंबर तक टैक्सपेयर को अपने कुल टैक्स का 45% एडवांस टैक्स के रूप में भरना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आयकर अधिनियम की धारा 234C के तहत पेनल्टी और ब्याज लग सकता है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट हिमांक सिंगला के मुताबिक, “अगर एडवांस टैक्स समय पर जमा नहीं हो पाया तो ब्याज का बोझ सीधे टैक्सपेयर पर आएगा, जबकि इसमें उनकी कोई गलती ही नहीं है। यह बेहद निराशाजनक है कि इतनी शिकायतों के बावजूद अधिकारी यही कहते आ रहे हैं कि सिस्टम पूरी तरह ठीक चल रहा है।”
टैक्सपेयर की जेब पर असर
मान लीजिए किसी व्यक्ति का कुल टैक्स दायित्व 2 लाख रुपये है – 1 लाख जून में और 1 लाख सितंबर में। अगर जून में 15% यानी 15,000 रुपये की कमी रह जाती है, तो तीन महीने के लिए 1% की दर से 450 रुपये ब्याज देना होगा। वहीं सितंबर में अगर 90,000 रुपये की कमी रह जाती है, तो लगभग 2,700 रुपये अतिरिक्त ब्याज देना पड़ेगा। यानी पोर्टल की तकनीकी दिक्कतें सीधा टैक्सपेयर की जेब पर भारी पड़ रही हैं।
अब नज़र सरकार पर
हालात को देखते हुए टैक्स विशेषज्ञ, प्रोफेशनल बॉडीज़ और यहां तक कि कई बीजेपी सांसद भी वित्त मंत्रालय से ITR फाइलिंग की डेडलाइन आगे बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर सरकार डेडलाइन बढ़ा भी देती है, तो एडवांस टैक्स की समयसीमा और उस पर लगने वाले पेनल्टी के बोझ से टैक्सपेयर को कैसे राहत मिलेगी?
डिस्क्लेमर: इस लेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। टैक्स से जुड़े किसी भी निर्णय से पहले अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स सलाहकार से परामर्श लें।
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